Sunday, 30 June 2013

YOUTH ICON: ऊपर दो तस्बीरें देखिये पहली तस्बीर 40 के दशक की ब...

YOUTH ICON:
ऊपर दो तस्बीरें देखिये पहली तस्बीर 40 के दशक की ब...
: ऊपर दो तस्बीरें देखिये पहली तस्बीर 40 के दशक की बताई गयी तो दूसरी 17 जून 2013 की     * SHASHI BHUSHAN MAITHANI "PARAS" ...

YOUTH ICON: नन्दा देवी यात्रा को लोक-पारम्परिक पूजा तक ही सीमि...

YOUTH ICON: नन्दा देवी यात्रा को लोक-पारम्परिक पूजा तक ही सीमि...: By. Shashi Bhushan Maithani "paras"  नन्दादेवी यात्रा को लोक-पारम्परिक पूजा तक ही सीमित रहने दें ।  हिमालयी कुम्भ क...

नन्दा देवी यात्रा को लोक-पारम्परिक पूजा तक ही सीमित रहने दें ।


By. Shashi Bhushan Maithani "paras" 



नन्दादेवी यात्रा को लोक-पारम्परिक पूजा तक ही सीमित रहने दें । 
हिमालयी कुम्भ की नहीं बल्कि राजनीतिक कुम्भ की ज्यादा आहट नंदा देवी राजजात यात्रा में । 

"नंदा देवी राजजात यात्रा के व्यापक स्तर के बजाय सरकार को हर वर्ष सैकड़ों गाँवों में नन्दाष्टमी से आयोजित होने वाले नन्दा उत्सवों को ज्यादा प्रोत्साहन देना चाहिए जो कि तीन दिन से लेकर एक सप्ताह तक के नन्दा उत्सव होते हैं , जो सिर्फ विभिन्न गांवो की अपनी - अपनी  सीमाओं तक ही सीमित होती हैं । जिसमे किसी भी तरह के जोखिम की संभावना न के बराबर रहती है ।  और इससे राज्य के सैकड़ों गांवों के पारम्परिक धार्मिक तीर्थाटन को मजबूती हिमांचल प्रदेश के दशहरा पर्व , महराष्ट्र के गणपति उत्सव आदि की तर्ज पर मिल सकेगा और नंदा पाती , स्योलापाती ,ब्युडा पाती ,नन्दा कौथिग , नन्दा लोकजात ,हर वर्ष आयोजित होने वाले उत्सव हैं " ।

आज मुख्यमंत्री बहुगुणा जी ने एक जोरदार अपील की है नंदा देवी राजजात के सन्दर्भ में , उन्होंने नंदा देवी राजजात उत्सव को बड़े ही शादगी व पारम्परिक तरीके से अपने - अपने क्षेत्रों अर्थात सीमित ग्रामीण क्षेत्रों की सीमाओं के अन्तर्गत मनाने की अपील पर्वतीय समाज के लोगों से की है । 
मुख्यमन्त्री  की जनता से की गई इस अपील पर , मुझे ज्यादा ख़ुशी हुई , वह इसलिए कि मैंने अपने 18 जून को लिखे गए अपने ब्लॉग में सबसे पहले यही चिंता ब्यक्त की थी ,  कि अब हमारे सामने बेहद निजी लोक-पारम्परिक पूजा जो कि कुछ ही गांवों की है , जिसे अब राजनीतिक चतुराइयों के साथ विश्व मानचित्र पर उकेरने की तैयारी में अरबों रूपये को ठिकाने लगाने का खेल शुरू हो गया है और हिमालय में यात्रियों को दी जानी वाली सुख - सुविधाएं सिर्फ सरकारी फाईलों में ही सजी रहेंगी । 
मैंने अपने लेख में इस बात  पर चिन्ता व्यक्त की थी कि अगर केदार नाथ जैंसा हाल हुआ तो सरकार की क्या ऐसी विभीषिका से निपटने की कोई तैयारी है भी या नहीं ? आखिर आप किस आत्मविश्वास के भरोशे देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया से लोगों को यहाँ दुर्गम हिमालयी यात्रा में शामिल होने के लिए आमंत्रित कर रहे हो ? 
मै " अमर उजाला " का  विशेष धन्यवाद ज्ञापित करूँगा कि उन्होंने तुरन्त इस मुददे की गम्भीरता को भाँपते हुवे सबसे पहले उठाया । अमर उजाला ने 19 जून को ही मेरे ब्लॉग का हवाला देते हुए खबर को प्रकाशित किया था ।  जिसे आप इस लिंक पर पढ़ सकते हैं - 

और मीडिया को इस समय इस मुददे को पुरजोर तरीके से और अधिक व्यापकता के साथ उठाने की जरुरत है , मै बार - बार कह रहा हूँ कि नन्दा देवी पूजा हिमालयी क्षेत्रों खाशकर चमोली , अल्मोड़ा , नैनीताल आदि जनपदों के कुछ ही गांवों की बेहद निजी ,पारंपरिक व दोषमुक्त पूजा है । जिसे नंदा पाती , स्योलापाती ,ब्युडा पाती ,नन्दा कौथिग , नन्दा लोकजात , एवं नन्दा राजजात के रूप में मनाये जाने का विधान है परन्तु यह किसी एक गाँव से संचालित होने वाली यात्रा नहीं है बल्कि जिसे आज कुछ तथाकथित राजनीतिक पहुँच रखने वाले विद्वानों द्वारा बहुप्रचारित किया जा रहा है । ऐसे भ्रामक स्थिति में कई बार तो टकराव की स्थिति भी क्षेत्र बन रही हैं , खाशकर चमोली जनपद के घाट विकासनगर में, जंहा वाकही नंदा देवी का सिद्ध पीठ मन्दिर मौजूद है और हर वर्ष नंदा उत्सव और नंदा लोकजात यात्रा को बेहद ही पारम्परिक व धार्मिक अनुष्ठान के साथ मनाया जाता है । 
अब जरुरत है एक ऐसी विकास परक सोच की जो हिमालयी पर्यावरणीय संरक्षण के साथ आगे बढे।  नंदा देवी राजजात यात्रा के व्यापक स्तर के बजाय सरकार को हर वर्ष सैकड़ों गाँवों में नन्दाष्टमी से आयोजित होने वाले नन्दा उत्सवों को ज्यादा प्रोत्साहन देना चाहिए जो कि तीन दिन से लेकर एक सप्ताह तक के नन्दा उत्सव होते हैं , जो सिर्फ विभिन्न गांवो की अपनी - अपनी तक में सीमित होती हैं । जिसमे किसी भी तरह के जोखिम की संभावना न के बराबर रहती है ।  और इससे राज्य के सैकड़ों गांवों के पारम्परिक धार्मिक तीर्थाटन को मजबूती हिमांचल प्रदेश के दशहरा पर्व , महराष्ट्र के गणपति उत्सव आदि की तर्ज पर मिल सकेगा और नंदा पाती , स्योलापाती ,ब्युडा पाती ,नन्दा कौथिग , नन्दा लोकजात ,हर वर्ष आयोजित होने वाले उत्सव हैं । पर सरकार को किसी भी गाँव विशेष को खाश आर्थिक मदद देने के बजाय नंदा उत्सव वाले गांवों को चिन्हित कर वहाँ अच्छी सड़कें ,बिजली पानी व स्वास्थ्य सेवाएं मुहैय्या करवानी चाहिए । ऐसा करने से मात्र एक क्षेत्र के बजाय भिन्न - भिन्न गांवो को सरकारी योजनाओं का लाभ भी मिल सकेगा । साथ ही चार धामों पर बढ़ते जनदबाव में भी भारी कमी आ सकेगी और देश विदेश से आने वाले श्रद्धालु सुनियोजित एवं  व्यवस्थित तरीके से उत्तराखंड में भ्रमण भी कर सकेंगे ।  केदारनाथ में इस महाप्रलय के लिए अनियोजित यात्रा को ही सबसे ज्यादा जिम्मेदार माना जायेगा । और अब आने वाले समय में नन्दादेवी राजजात यात्रा के लिए भी सरकार को गम्भीरता से सोचने की जरुरत है । 

लेख - शशि भूषण मैठाणी "पारस"  स्वतन्त्र  पत्रकार ।   
09412029205, 09756838527 
shashibhushan.maithani@gmail.com 
  

Sunday, 23 June 2013

अब पौड़ी के थलीशैंण ब्लॉक में बारिश से तबाही की खबर ! सुनिए लाइब फोन वार्ता में वहां का हाल जो बता रहे हैं आशीष गोदियाल ।

Breaking News -  कल रात हुई भारी बारीश के चलते अब पौड़ी जनपद के थलिशैंण तहशील के पैठाणी ईलाके से मुलुंड , कोठी पाटुली सहित अन्य गांवो से लोगो के खेत , छानिया , घरों व मवेशियों के बहने की खबर है , मुझे यह जानकारी वहीँ के स्थानीय निवासी आशीष गोदियाल जी ने दी है आशीष ने बताया कि लोग भारी दहशत में है और सुरक्षित स्थानों पर  चले गए हैं । यह भी बताया गया है काफी संख्या में लोगों की छानियां बह गयी है , दरअसल उत्तराखंड में लोग निचले हिस्सों से जब उपरी जंगल के ईलाकों में गर्मियों व बरसात के सीजन में प्रवास करते हैं इस दौरान जंगलों में बने घरों को स्थानीय भाषा में छानियां कहते हैं , यही सबसे बड़ी चिंता की बात भी है जो आशीष ने फोन पर हमें बताया कि ईलाके के कई गांवो से छानिया बहने की खबर है । (क्या है पौड़ी के थलीशैंण तहशील का हाल सुनिए स्थानीय निवासी आशीष के साथ लाइव फोन इन में ) - शशि भूषण मैठाणी "पारस"  Yi मीडिया  09412029205 , 09756838527  

अब पौड़ी के थलीशैंण ब्लॉक में बारिश से तबाही की खबर ! सुनिए लाइब फोन वार्ता में वहां का हाल जो बता रहे हैं आशीष गोदियाल ।  

Friday, 21 June 2013


नेपालियों का केदारनाथ में आतंक ...| 
नेपाली मजदूर रात में लड़कियों को ढूढ़ ढूंढ कर ले जा रहे हैं ..|

लगातार पिछले 3 - 4 दिनों से उत्तराखण्ड के सभी लोग इस खबर से ब्यथित थे की स्थानीय लोग ऐसा कर रहे हैं लेकिन देहरादून जौलीग्रांट हवाई अड्डे पर केदारनाथ से लौटी बिहार की महिला ने जो बाते बताई हैं वह रुला देने वाली हैं उनका कहना है नेपाली मजदूर रात में लड़कियों को ढूढ़ - ढूंढ कर ले जा रहे हैं उन्ही के सामने उनकी बेटी को तीन नेपालियों ने नोछ डाला जंगल में शरण लिए इस महिला और उसकी बेटी ने जब शोर मचाया तो आस पास के लोगों ने टार्च मारी इतने में  नेपाली भाग खड़े हुवे महिला का कहना है कि उनकी बेटी अब खुद मुझसे यानी अपनी माँ से भी नजर नहीं मिला पा रही है । 
एक और महिला ने बताया कि अन्धेरा होते ही वह अकेली महिला या जवान लड़कियों को ज्यादा अपने हवश का शिकार बना रहे हैं साथ में पुरुष भी अपने बच्चों को नहीं बचा पा रहे हैं क्योंकि सभी घायल बीमार हो चुके हैं , किसी में ताकत नहीं रह गयी अब है इसका फायदा नेपाली मजदूर जमकर उठा रहे हैं । महिला ने कहा कि सेना या पुलिस की टीमों को रात की गस्त के लिए वहाँ जंगलों में उतारा जाय और तेज फोकश लाईटों वाली टार्च भी दी जाय अभी भी हजारों महिलाये , लडकियां वह अपनी अस्मिता को बचाने के लिए संघर्ष कर रही हैं । 
मैंने कल ही अपने ब्लॉग youthiconinfo.blogspot.in में लिखा था कि उत्तराखंडी पहाड़ी कभी भी ऐसी नीच और ओछी हरकत नहीं कर सकता है । 
ध्यान दीजिये सरकार -जो किसी को पता नहीं वह हम बता रहे हैं -  
केदारनाथ से नागनाथ पोखरी के लिए ऊपर ही ऊपर जंगलों से पैदल रास्ते होते हुवे पहले बुजुर्ग केदारनाथ यात्रा पर जाया करते थे । कल शाम को ही मुझे बताया गया है कि पुराने रास्तों का फायदा इस समय नेपाली उठा रहे हैं केदारनाथ में सेना के पहुंचते ही यह चोर जंगलों के रास्ते भाग रहे हैं जो कि अखोड़ी- मच्खंडी -त्रिसूला के जंगलो से होते हुए नागनाथ - पोखरी - से फिर नंदप्रयाग, लंगासू, घुडसाल ,सैकोट, सोनला ,बछेर ,और  मैठाना आदि जगहों पर पहुँच रहे हैं या कुछ जगह अभी पहुँच सकते हैं , कल शाम को ही कई नेपाली मजदूर और घोड़े खच्चर वाले केदारनाथ से पोखरी होते चोपता से पहले के जंगलो से होते हुए मण्डल और फिर गोपेश्वर मण्डल में भी पहुँच चुके है , लेकिन सभी पर संदेह करना भी सही नहीं होगा । 
अब जरुरत है - 
ऐसे में चमोली गोपेश्वर पुलिस , कर्णप्रयाग, नंदप्रयाग चौकी पुलिस , रुद्रप्रयाग पुलिस या राजस्व क्षेत्रों में पटवारियों को निर्देशित किया जाय कि जो नेपाली मजदूर या घोड़े खच्चर वाले जंगलो से होते हुए केदारनाथ से निकल रहे हैं उनकी गहनता से जांच की जाय क्योंकि यह भी बताया जा रहा है कि लूट खशोट की नियत से भी इन्होने यात्रियों को मौत के घाट उतारा है और भाग रहे हैं जो हैलिकाफ्टर से भी नहीं आना चाहेंगे। यह एक महिला पीडिता ने बताया कि केदारनाथ के जंगलों में रात में टार्च से ढूंढ ढूंढ कर नेपालियों ने लोगों से रूपये और गहने निकाले हैं और हाथों में अजीब से चाकू जैसे हथियार भी इनके पास देखे गए कुछ ने बिरोध किया तो उन्हें मारा भी गया है । 
कृपया चमोली - रुद्रप्रयाग और टिहरी जिलाप्रशासनो को निर्देशित किया जाय कि जंगलो के रास्ते भाग रहे नेपालियों को पकड़ने के लिए अलग से टीम गठित की जाय स्वयम सेवी संस्थाएं और ग्रामीण लोग भी इनकी धरपकड़ कर पुलिस को सौपें तो बहुत ही नेकी का काम होगा । 

शशि भूषण मैठाणी "पारस"
09412029205
09756838527
shashibhushan.maithani@gmail.com


शर्मनाक ...... 
अगर बात सच है तो , डूब मरने जैसी है । 
एक बहुत ही शर्मनाक न्यूज अपडेट कई लोग फेश बुक पर खूब प्रशारित कर रहे हैं कि केदारनाथ
में मुर्दों से लूट खशोट व पीड़ितों से बलात्कार किया गया । अगर यह सच है तो बेहद शर्मनाक है लेकिन यह पहाड़ियों के स्वाभिमान पर बन आई है । कुछ लोग सरासर यह सन्देश देने की कोशिश कर रहे हैं,  कि स्थानीय लोगों ने ऐसा किया। लेकिन मै सबसे पहले इस कृत्य के लिए दावे के साथ कह सकता हूँ कि इसमें उत्तराखंडीयों की किसी भी प्रकार की सहभागिता नहीं हो सकती है । सोचो जरा एक मात्र गाँव है गढ़वालियों का केदारघाटी  में जो मुशीबत बने लोगों के लिए वरदान बना हुआ है, और वह गाँव है गौरी गाँव जो ठीक तबाह हुए गौरीकुण्ड के ऊपर है ।  ऊंचाई में होने के कारण बच गया है और इसी गाँव के लोगो ने मानवता की मिशाल कायम कर 5 हजार से  ज्यादा अनजान बे-बस जरुरत मंद यात्रियों को अपने - अपने घरों में शरण दी , और अभी भी दीए हुए हैं । बाकी दिल्ली की जिस एक महिला पत्रकार ने (बकौल फेश बुकिया मीडिया ) के मार्फ़त यह बात  सामने रखी है कि त्राशदी के वक्त केदारनाथ धाम के रास्ते में यात्रियों से कुछ स्थानीय लोगों ने जबरन लूट-पाट व बलात्कार किया था । ऐसे में महिला पत्रकार को भी बड़ी जिम्मेदारी के साथ खुल कर क़ानून का सहारा लेना चाहिए था , या अखबार और  TV चैनलों पर भी अपनी बात रखकर शाशन प्रशाशन तक अपनी शिकायत पहुंचानी थी ।  यह हमारी पत्रकार बहनजी से अनुरोध है कि अभी भी जिम्मेदारी के साथ आगे बढ़ें। 
देवीय व प्राकृतिक आपदा के बाद अब चारित्रिक हनन की इस विपदा भरी खबर ने पहाड़ी जनमानश के आत्म-सम्मान को झकजोर कर रख दिया है। फेश बुकिया मीडिया मित्रों की वॉल पर महिला पत्रकार के फोन नम्बर व पते के साथ उनकी पीड़ा का वर्णन भी किया गया है । बकौल फेश बुकिया मीडिया मित्रो की वॉल पर बताया जा रहा है कि महिला पत्रकार के अनुसार से पता चला कि उक्त घटना केदारनाथ व नीचे उतरते रास्तों में घटी ... यहाँ थोडा ध्यान दीजियेगा केदारनाथ से गौरीकुण्ड तक घोड़े खच्चर वाले अधिकांशत: बिजनौर के होते हैं जिनकी संख्या तीन से चार हजार लगभग होती है , व डण्डी एवं कंडी से यात्रियों को ढ़ोने वाले नेपाली मूल के मजदूर होते हैं, जो सिर्फ यात्रा काल में ही नेपाल से भारत आते हैं इनकी संख्या भी लगभग तेरह सौ है बाकयदा इन सभी का  जिला पंचायत द्वारा रजिस्ट्रेशन किया जाता है। और जितने भिखारी आप बद्री - केदार धाम पर देखेंगे तो वह सब भारत के अनजान क्षेत्रों के होते हैं जो बदलती हवा की धार की तरह दिशा अदलते - बदलते रहते हैं इनका कोई स्थाई ठिकाना नहीं होता है , इनका ठौर  इलाहबाद ,हरिद्वार , नासिक   कांगड़ा , अमरनाथ , केदारनाथ ,बदरीनाथ गंगोत्री यमुनोत्री या देश में कही भी हो सकता है ।  अकेले गौरीकुण्ड से केदारनाथ तक इन अनजान बेपहचान भिखारियों की संख्या पीक सीजन में लगभग दो से ढाई हजार होती है, जो हट्टे- कट्टे व नशेड़ी भी होते हैं , केदार नाथ तक पुरे रास्ते पर इनकी तथाकथित कुटिया आपको देखने को मिल जाती थी , और अभी सुना कि वह अधिकाँश सुरक्षित भी हैं , हो सकता है कि इन  तमाम लोगों में से ही किसी ने ऐसी नीच हरकतों को अंजाम दिया हो। ऐसे स्थानीय शब्द जोड़ कर घटना का जिक्र करना सरासर गलत होगा । बदरीनाथ में तो इन भिखारियों के हौशले इतने बुलंद हो गए थे कि पिछले साल चमोली जिला प्रशाशन को इन्हें ट्रक में भर-भर कर धाम से बाहर खदेड़ना पड़ा। जो सच-मुच इन धामों में आतंक के प्राय बन गए हैं । 
लेकिन हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि इस समय पहाड़ियों पर बसे पहाड़ी जन मानश पर भी भयंकर बिपदा टूट पड़ी है ।  जिससे उबरने में सालों साल लग सकता है । लेकिन जिस तरह की बात दिल्ली की महिला पत्रकार की ओर फेश बुक पर लोग आधी अधूरी जानकारी के साथ दे रहे हैं वह बेहद बचकानी हरकत जैंसा है । इस लिए मेरा अपनी पत्रकार बिरादरी की साथी महिला पत्रकार से करबद्ध अनुरोध है कि आप अपनी बात को परिपक्वता के साथ देश में स्थापित बिभिन्न सम्मानित मीडिया तंत्रों के हवाले से ही रखें तो बेहत्तर होगा बजाय फेश बुक के । और सबसे पहले तो आपको भी एक जिम्मेदार पत्रकार होने के नाते गुप्तकाशी से लेकर देहरादून तक कहीं भी उत्तराखंड की सीमा में कानूनी शिकायत दर्ज करवानी चाहिए थी, इससे फायदा यह होता कि जिन लोगों ने अगर सचमुच केदारनाथ विपदा के दरमियान में ऐसी अमानवीय घटना  को अंजाम दिया था तो , वह सब रेस्क्यू अभियान के वक्त में आशानी से पकड़ में आ जाते क्योंकि यह सारा देश जान रहा है कि , इस वक्त केदार धाम से बिना सेना के हैलीकॉफटर की मदद के कोई भी बाहर नहीं निकल सकता है । अब तक तो हजारों लोगों को केदारनाथ से रेस्क्यू कर बाहर निकाला भी जा चुका है । जो की अपने-अपने घरों को भी जा चुके हैं । लेकिन जहां तक मेरी जानकारी है ऐसी घटना से सम्बंधित कोई भी रिपोर्ट यहाँ कहीं भी दर्ज नहीं है और न ही किसी अन्य यात्री ने यह शिकायत पूछने के बाद भी स्वीकारी है। अगर शिकायत दर्ज होती तो रेस्क्यू के वक्त ही प्रशाशन की टीम एक - एक यात्री की तलाशी लेती । इस अभियान में जिन लोगों के पास जरुरत से ज्यादा धन व सोने चांदी के गहने भी होते तो वह आशानी से पकड़ में आ जाते । 
लेकिन एहतियातन सरकार को राज्य की छबि बचाने के लिए अभी भी अन्य लोगों की तलाशी लेनी चाहिए क्योंकि जिसके मन में चोर होगा वह तो अभी भी ज्यादा लालच के चक्कर में केदारनाथ धाम में ही रुका हो सकता है ।   

शशि भूषण मैठाणी "पारस" 
09412029205
09756838527 
shashibhushan.maithani@gmail.com

Thursday, 20 June 2013


By. SHASHI BHUSHAN MAITHANI "PARAS"

बदरीनाथ से फोन पर मिला अपडेट - 
बदरीनाथ में भी हालत हैं बुरे ...। अभी अभी मेरी बदरीनाथ में रत्नेश पंवार से बात हुई ,  रत्नेश ने बताया कि अंतराज्यीय बस अड्डे पर एक बस में बस ड्राइबर लांश पिछले 3 दिनों से अदि हुई है जिससे अब दुर्गन्ध आने लगी है पुलिस को जानकारी दी गयी लेकिन वह भी हाथ लगाने को तैयार नहीं है ।  मिटटी तेल ख़त्म हो गे है जिसके बाद लोगो ने वहां स्टोर किये हुवे डीजल का प्रयोग शुरू किया लेकिन अब वह भी समाप्त हो गया है । दूसरी ओर  समिति लोगों को खाने के टोकन देने की बात कर रही है लेकिन जहां से टोकन मिलने हैं वह कार्यालय बंद पड़ा हुआ है । रत्नेश ने बताया कि बदरीनाथ से लगे बामनी गाँव में 16 तारीख को आई बाढ़ से 3 - 4 मकान बह गए हैं । रहत के नाम पर आर्मी के जहाज पहुँच तो रहे हैं पर वह किसी को मदद करने के बजाय हैली पेड पर आकर फोटो खिंचवा कर मीडिया में खुदको दिखाने का काम कर रहे हैं , आगे रत्नेश ने अपनी टेलीफोन वार्ता में यह भी बताया कि अगर  कुछ नहीं होता है तो यहाँ लोग भूख से मरने वाले हैं । यात्रियों के पास पैंसा पूरी तरह से समाप्त हो चूका है कुछ यात्री प्राईवेट हैली काफ्टर की मांग कर रहे हैं , उनका  कहना है कि अपने पैंसे दे देंगे पर हमें यहाँ से निकाल दो लेकिन सरकार अभी सिर्फ हेमकुण्ड , केदारनाथ या उत्तरकाशी पर ही ज्यादा फोकश कर रही है । 
लेकिन हमें यहाँ यह भी समझाना होगा कि फंसे हुवे यात्रियों का गुस्सा अपनी जगह जायज है , लेकिन सेना को भी प्राथमिकता के तौर पर केदारनाथ व हेमकुण्ड में भी कार्य करने शख्त जरुरत भी है और वह कर भी रही है सेना के सभी जवान इस समय देव दूत बन कर मदद में जुटे हैं हमें उनका भी हौशला बढ़ाना है । लेकिन बदरीनाथ से रत्नेश पंवार जी मुझे फोन पर जो जानकारी दी है वह में सभी अपने मीडिया संस्थानों व कंट्रोल रूम तक भिजवा रहा हूँ , उम्मीद करनी चाहिए कि बदरीनाथ में भी भूख से तड़फ रहे यात्रियों को जल्द से जल्द राहत पहुंची जाय व पुलिस अधिकारी बदरीनाथ थाणे को निर्देशित करें की बस अड्डे पर बस में पड़े मृत शारीर की शिनाख्त कर करवाई कर मदद करें , इस भीषण आपदा में हम सब लोगों का सहयोग शाशन प्रशन व सेना के साथ भी बना रहना चाहिए । 
शशि भूषण मैठाणी "पारस" 
स्वतंत्र पत्रकार  

Wednesday, 19 June 2013

गौरीकुण्ड तबाह हो गया है, लाशें बिखरी हुई है - गौरी कुंड से बिष्णुनाथ तिवारी के साथ बातचीत !

Shashi Bhushan Maithani "paras" with Vishnunaath Tiwari

EXCLUSIVE  - Live Phone

गौरीकुण्ड तबाह हो  गया है, लाशें बिखरी हुई है , 


यहाँ  100 होटल थे अब महज 4 - 5 ही बचे हैं , गौरी मंदिर , गरम पानी कुण्ड , काली कमली , बस अड्डा गौरी कुण्ड , सोनप्रयाग का तो अब निशान तक नहीं बचा है हजार से ज्यादा गाड़ियां हमारे सामने बही हैं , पानी जैंसे  जैंसे  बढ़ने लगा तो लोग पांच मंजिले भारत सेवाश्रम के भवन में जान बचाने के लिए घुस गए लेकिन दस मिनट में पूरी बिल्डिंग लापता हो गयी जिसमे करीब पांच हजार लोग लापता हो गये । लाशें इधर उधर फैली हुई है भयानक दुर्गन्ध आ रही है कोई सरकारी मदद नहीं में अपने स्टाफ को लेकर कल पैदल ही गुप्तकाशी के लिए चला रस्ते में किसी से 1 किलो चावल का ईंतजाम किया ताकि भूख मिट सके लेकिन मुडकटिया के पास कुच्छ यात्रियों ने मुझसे वह चावल छीन लिया उन्होंने 15 मिनट में ही जानवरों की तरह कच्चा चावल साफ़ कर दिया । बच्चे दूध की जगह पानी पी रहे हैं  । बुरा हाल है ऊपर उड़ाते जहाजों को लोग चिल्ला चिल्ला का रोकने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन वह सीधे केदार नाथ जा रहे हैं बचा लीजिये साहब सब ख़तम हो जायेंगे .... यह कहना है गौरीकुंड से लौटे विश्नुनाथ तिवारी का जिनका गौरीकुंड में मन्दाकिनी होटल था वह भी बह गया है जो आज चार दिन बाद जैंसे तैंसे गुप्तकाशी पहुच गए हैं यह अपने साथ 25  अन्य यात्रियों को भी ला रहे थे लेकिन 5 यात्रियों ने मुण्ड कटिया में ही हिम्मत हार ली और वह वहीं अचेत पड़े हुवे हैं -

लाइव बातचीत सुनने के लिये निचे दिए गए लिंकों का प्रयोग करे : - 



Tuesday, 18 June 2013


ऊपर दो तस्बीरें देखिये पहली तस्बीर 40 के दशक की बताई गयी तो दूसरी 17 जून 2013 की  

* SHASHI BHUSHAN MAITHANI "PARAS" 
   Nanda Devi Rajjaat Yatra ...? 
 
*केदारनाथ जैंसा था वैसा ही हो गया ..... ! 

*तो क्या ऐसे में आगामी माह में आयोजित होने वाली विश्व प्रसिद्द नंदादेवी राजजात यात्रा सुरक्षित है ? 

                                                       *सोचिये जरा ! 

जो हुआ वह बहुत बुरा हुआ ... लेकिन हमें आज घटी इस घटना से सबक लेना भी जरुरी है , हिमालयी क्षेत्रों में अनावश्यक भारी जनदबाव अनैतिक दोहन व बेतरतीब ढंग से हो रहा विकास भी इस सब के लिए जिम्मेदार है । 
देखिये जरा गौर से  चालीस से पचास के दशक के केदारनाथ धाम की यह तश्बीर तब यहाँ सिर्फ गिनती की 8 - 9 झोपड़ियां हुवा करती थी , वह भी घास फूस की , क्या आम और क्या खाश सबके आशियाने यही थे ।  लेकिन देश स्वतंत्र हुवा महत्वकांक्षाएं भी बढ़ी इस सब के बीच बेतहाशा विकास की दौड़ भी चलने लगी नतीजतन चन्द सालों में ही साधना के इस धाम में विकास रूपी कंक्रीट के जंगल ने एक आधुनिक नगर की शक्ल ले ली थी लेकिन अब, ....  आज की इस तश्बीर को भी देखिये और चालीस के दशक की ब्लैक एण्ड व्हाइट तश्बीर के साथ मिलान कीजिए उसी हालत में पाएंगे आप ओघड बाबा की समाधिष्ठ धाम को  ।  
क्या कहियेगा इसे प्रकृति का प्रकोप या चतुर इन्शान को प्रकृति का तमाचा ..... ? 
मै बार बार अपने मीडिया से जुड़े भाई बहिनों से भी संवाद कर रहा हूँ कि सितम्बर माह में आयोजित होने वाली नंदा देवी राज जात यात्रा में अनावश्यक लोगों को हिमालय में ना जाने की अपील की जानी चाहिए । यह बात सभी को समझ लेनी होगी कि नंदादेवी राजजात यात्रा कोई उत्सव नहीं है और न ही यह सार्वजनिक धार्मिक अनुष्ठान है बल्कि  ये तो हिमालयी क्षेत्र के खाशकर चमोली , अल्मोड़ा व पिथौरागढ़ जनपदों के कुछ ही परिवारों की पारिवारिक दोष मुक्त पूजा है,  जिसे चंद चतुर लोगों ने हिमालयी महाकुम्भ का नाम दे दिया है और सरकारी खजाने को ठिकाने लगाने का जरिया भी बना दिया है । इस वर्ष आयोजित होने वाली नंदा देवी राजजात यात्रा में अंदाजा लगाया जा रहा है कि पुरे विश्वभर  से लगभग डेढ़ लाख लोग इस हिमालयी यात्रा का हिस्सा बनेगे । लेकिन सरकार और खाशकर उत्तराखंड वाशियों को आज केदारनाथ में हुई इस भयानक देवीय प्रकोप या प्राकृतिक आपदा को भी नहीं भूलना होगा जहाँ आज कई बेकसूर लोग जिन्दा मलवे में दफ़न हो गए हैं । 
अब बात फिर से नंदादेवी राजजात की करते हैं , मैं भी एक पत्रकार होने के नाते पूर्व में हुई नंदादेवी राजजात का रूपकुंड , बेदनी कुंड , व नंदा देवी लोकजात यात्रा बालपाटा ,सिम्बाई बुग्याल और दंन्यनाली होते हुवे सप्तकुण्ड यात्रा का हिस्सा बन चुका हूँ । मेरा बहुत बुरा अनुभव रहा है भले ही यह यात्रा बादलों के ऊपर सैर करने का आपको एहसास करवाती है , कभी रोमांच , कभी रहस्य तो आश्चर्य में डाल देने वाली यह यात्रा सिर्फ और सिर्फ भगवान् भरोशे चलती है जंहा कोई निश्चित रास्ते व पुख्ता जानकारी तक नहीं होते हैं भले ही सरकारी कागजों में सब ठीक - ठाक सजा हुआ रहता है । 
मेरा मकसद मुद्दे को भटकाना या यात्रा पर किसी तरह का प्रश्न चिन्ह लगाना नहीं है बल्कि आने वाले खतरे के प्रति लोगों को जागरूक करना है , कि अगर आप यहाँ होने वाली नंदादेवी राजजात यात्रा का हिस्सा बनने का मन बना रहे हैं तो कम से कम आज केदारनाथ में हुवे इस हिमालयी उत्पात को भी जरुर ध्यान में रखियेगा । केदारनाथ में तो सारी आधुनिक सुविधाएं आपके हाथों में थी लेकिन नन्दादेवी राजजात यात्रा में क्या .... जहां न घोड़ा होगा न गाड़ी होगी ... बस सब कुछ आपको अपनी पीठ पर लाद  कर लेजाना होगा और कडकडाती ठण्डी रातें गुजारनी होंगी तो साथ में रखीं मामूली पन्नियों के सहारे  , इसलिए इस यात्रा का हिस्सा जरुर बनिए लेकिन दिल से नहीं बल्कि दिमाग से ।किसी भी प्रकार के अति उत्साही करने वाले विज्ञापनों के भ्रम जाल में भी न फंसें । आपकी जान आपकी अमानत । 

लेख - शशि भूषण मैठाणी "पारस"
         निदेशक - यूथ आइकॉन
          09756838527 
          09412029205   


फोटो साभार - गजपाल सिंह रावत की फेश बुक से (केदारनाथ प्राचीन स्वरूप ब्लैक एण्ड व्हाइट)  
                   - काशीनाथ वाजपई की फेश बुक से (केदारनाथ विनाश के बाद  रंगीन

Friday, 14 June 2013

Badrinath Temple Rice Art By : SHASHI BHUSHAN MAITHANI "PARAS"



51 हजार चावल के दानो को जोड़ कर बनाए जा रहे भगवान् श्री  बदरीनाथ जी का मुख्य सिंह द्वार का वीडियो -
द्वारा शशि भूषण मैठाणी "पारस" 

Wednesday, 27 February 2013

शर्मनाक -  
सोशल मिडिया पर आजादी का तो ये मतलब नहीं है ! 
शशि भूषण मैठाणी "पारस"

हम - आप सब लोग सोशल मिडिया फेश बुक के मार्फ़त एक दुसरे से संवाद स्थापित करते हैं , अपनी मन की बातें एक दुसरे तक पहुंचाते हैं । फिर स्वस्थ मानसिकता के साथ राय और सुझावो का भी आदान - प्रदान करते हैं । लेकिन 20 फ़रवरी से किसी S ...... Negi नाम की लड़की की ID से गढ़वाल और कुमायूं के लोगों के सन्दर्भ में बेतुकी राय मांगी गयी महज एक हफ्ते में उस पोस्ट पर तक़रीबन 12000 से ज्यादा लोगो की अलग - अलग टिप्पणियाँ दर्ज हो चुकी हैं , लेकिन अफ़सोस कि 80 % से ज्यादा टिप्पणियाँ एक दुसरे को अश्लील शब्दों व भद्दी - भद्दी गलियाँ देने व दोनों मंडलों के लोगों के बीच आपसी वैमनस्यता , टकराव पैदा करने वाली  हैं यह पूरी तरह से भाई चारे का माहौल बिगाड़ने मात्र का प्रयास भर है जो कि सरासर देश द्रोह का मामला है । 

उक्त सभी टिप्पणियों एवं फेश बुक ID को मेरी शिकायत करने के बाद साइबर सेल को भेज दी गयी है , मुझे ख़ुशी होगी कि ऐसे तथाकथित पढ़े लिखे अनपढ़ युवावों की जमात पर जल्द ही ठोस कानूनी कार्यवाही होगी । मुझे बताया गया है कि सभी लोगों की ID ब्लाक करने के लिए प्रशासन द्वारा मेल भेज जा चूका है और जल्द ही सभी के पते भी खंगाले जा रहे हैं जिसके बाद दोषियों पर कारवाही भी की जाएगी उन सभी मोबाईल एवं कम्प्यूटर लैपटौप का भी आसानी से पता लगा लिया जायेगा जिनसे पोस्ट पर टिप्पणियाँ भेजी गयी थी ।  मेरा उन अपने सभी मित्रों से भी आग्रह है कि यदि वे हमारे ग्रुप में अपने को असहज मह्शूश कर रहे हों तो वह तुरंत खुद ही , खुद को अन्फ्रेंड कर लें हमें ख़ुशी होगी , अच्छा है कि भीड़ बढाने के बजाय अपने सिमित दोस्तों के साथ हम रहें । 

शशि भूषण मैठाणी "पारस"
संपादक YOUTH icon 
9412029205  
9756838527 
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SHASHI BHUSHAN MAITHANI ''PARAS''
Editor Youth icon 
UTTARAKHAND

Thursday, 21 February 2013

Namskar ....  Manasavini & Yashasvini with world fame Green Girl  Yugratana ..|