शर्मनाक ......
अगर बात सच है तो , डूब मरने जैसी है ।
एक बहुत ही शर्मनाक न्यूज अपडेट कई लोग फेश बुक पर खूब प्रशारित कर रहे हैं कि केदारनाथ
में मुर्दों से लूट खशोट व पीड़ितों से बलात्कार किया गया । अगर यह सच है तो बेहद शर्मनाक है लेकिन यह पहाड़ियों के स्वाभिमान पर बन आई है । कुछ लोग सरासर यह सन्देश देने की कोशिश कर रहे हैं, कि स्थानीय लोगों ने ऐसा किया। लेकिन मै सबसे पहले इस कृत्य के लिए दावे के साथ कह सकता हूँ कि इसमें उत्तराखंडीयों की किसी भी प्रकार की सहभागिता नहीं हो सकती है । सोचो जरा एक मात्र गाँव है गढ़वालियों का केदारघाटी में जो मुशीबत बने लोगों के लिए वरदान बना हुआ है, और वह गाँव है गौरी गाँव जो ठीक तबाह हुए गौरीकुण्ड के ऊपर है । ऊंचाई में होने के कारण बच गया है और इसी गाँव के लोगो ने मानवता की मिशाल कायम कर 5 हजार से ज्यादा अनजान बे-बस जरुरत मंद यात्रियों को अपने - अपने घरों में शरण दी , और अभी भी दीए हुए हैं । बाकी दिल्ली की जिस एक महिला पत्रकार ने (बकौल फेश बुकिया मीडिया ) के मार्फ़त यह बात सामने रखी है कि त्राशदी के वक्त केदारनाथ धाम के रास्ते में यात्रियों से कुछ स्थानीय लोगों ने जबरन लूट-पाट व बलात्कार किया था । ऐसे में महिला पत्रकार को भी बड़ी जिम्मेदारी के साथ खुल कर क़ानून का सहारा लेना चाहिए था , या अखबार और TV चैनलों पर भी अपनी बात रखकर शाशन प्रशाशन तक अपनी शिकायत पहुंचानी थी । यह हमारी पत्रकार बहनजी से अनुरोध है कि अभी भी जिम्मेदारी के साथ आगे बढ़ें।
देवीय व प्राकृतिक आपदा के बाद अब चारित्रिक हनन की इस विपदा भरी खबर ने पहाड़ी जनमानश के आत्म-सम्मान को झकजोर कर रख दिया है। फेश बुकिया मीडिया मित्रों की वॉल पर महिला पत्रकार के फोन नम्बर व पते के साथ उनकी पीड़ा का वर्णन भी किया गया है । बकौल फेश बुकिया मीडिया मित्रो की वॉल पर बताया जा रहा है कि महिला पत्रकार के अनुसार से पता चला कि उक्त घटना केदारनाथ व नीचे उतरते रास्तों में घटी ... यहाँ थोडा ध्यान दीजियेगा केदारनाथ से गौरीकुण्ड तक घोड़े खच्चर वाले अधिकांशत: बिजनौर के होते हैं जिनकी संख्या तीन से चार हजार लगभग होती है , व डण्डी एवं कंडी से यात्रियों को ढ़ोने वाले नेपाली मूल के मजदूर होते हैं, जो सिर्फ यात्रा काल में ही नेपाल से भारत आते हैं इनकी संख्या भी लगभग तेरह सौ है बाकयदा इन सभी का जिला पंचायत द्वारा रजिस्ट्रेशन किया जाता है। और जितने भिखारी आप बद्री - केदार धाम पर देखेंगे तो वह सब भारत के अनजान क्षेत्रों के होते हैं जो बदलती हवा की धार की तरह दिशा अदलते - बदलते रहते हैं इनका कोई स्थाई ठिकाना नहीं होता है , इनका ठौर इलाहबाद ,हरिद्वार , नासिक कांगड़ा , अमरनाथ , केदारनाथ ,बदरीनाथ गंगोत्री यमुनोत्री या देश में कही भी हो सकता है । अकेले गौरीकुण्ड से केदारनाथ तक इन अनजान बेपहचान भिखारियों की संख्या पीक सीजन में लगभग दो से ढाई हजार होती है, जो हट्टे- कट्टे व नशेड़ी भी होते हैं , केदार नाथ तक पुरे रास्ते पर इनकी तथाकथित कुटिया आपको देखने को मिल जाती थी , और अभी सुना कि वह अधिकाँश सुरक्षित भी हैं , हो सकता है कि इन तमाम लोगों में से ही किसी ने ऐसी नीच हरकतों को अंजाम दिया हो। ऐसे स्थानीय शब्द जोड़ कर घटना का जिक्र करना सरासर गलत होगा । बदरीनाथ में तो इन भिखारियों के हौशले इतने बुलंद हो गए थे कि पिछले साल चमोली जिला प्रशाशन को इन्हें ट्रक में भर-भर कर धाम से बाहर खदेड़ना पड़ा। जो सच-मुच इन धामों में आतंक के प्राय बन गए हैं ।
लेकिन हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि इस समय पहाड़ियों पर बसे पहाड़ी जन मानश पर भी भयंकर बिपदा टूट पड़ी है । जिससे उबरने में सालों साल लग सकता है । लेकिन जिस तरह की बात दिल्ली की महिला पत्रकार की ओर फेश बुक पर लोग आधी अधूरी जानकारी के साथ दे रहे हैं वह बेहद बचकानी हरकत जैंसा है । इस लिए मेरा अपनी पत्रकार बिरादरी की साथी महिला पत्रकार से करबद्ध अनुरोध है कि आप अपनी बात को परिपक्वता के साथ देश में स्थापित बिभिन्न सम्मानित मीडिया तंत्रों के हवाले से ही रखें तो बेहत्तर होगा बजाय फेश बुक के । और सबसे पहले तो आपको भी एक जिम्मेदार पत्रकार होने के नाते गुप्तकाशी से लेकर देहरादून तक कहीं भी उत्तराखंड की सीमा में कानूनी शिकायत दर्ज करवानी चाहिए थी, इससे फायदा यह होता कि जिन लोगों ने अगर सचमुच केदारनाथ विपदा के दरमियान में ऐसी अमानवीय घटना को अंजाम दिया था तो , वह सब रेस्क्यू अभियान के वक्त में आशानी से पकड़ में आ जाते क्योंकि यह सारा देश जान रहा है कि , इस वक्त केदार धाम से बिना सेना के हैलीकॉफटर की मदद के कोई भी बाहर नहीं निकल सकता है । अब तक तो हजारों लोगों को केदारनाथ से रेस्क्यू कर बाहर निकाला भी जा चुका है । जो की अपने-अपने घरों को भी जा चुके हैं । लेकिन जहां तक मेरी जानकारी है ऐसी घटना से सम्बंधित कोई भी रिपोर्ट यहाँ कहीं भी दर्ज नहीं है और न ही किसी अन्य यात्री ने यह शिकायत पूछने के बाद भी स्वीकारी है। अगर शिकायत दर्ज होती तो रेस्क्यू के वक्त ही प्रशाशन की टीम एक - एक यात्री की तलाशी लेती । इस अभियान में जिन लोगों के पास जरुरत से ज्यादा धन व सोने चांदी के गहने भी होते तो वह आशानी से पकड़ में आ जाते ।
लेकिन एहतियातन सरकार को राज्य की छबि बचाने के लिए अभी भी अन्य लोगों की तलाशी लेनी चाहिए क्योंकि जिसके मन में चोर होगा वह तो अभी भी ज्यादा लालच के चक्कर में केदारनाथ धाम में ही रुका हो सकता है ।
शशि भूषण मैठाणी "पारस"
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