Friday, 15 June 2012

Neera Radiya's devotion at Badrinath "vishnudham" - By- Shashi Bhushan Maithani "paras"

Neera Radiya's devotion at Badrinath "vishnudham"

By- Shashi Bhushan Maithani "paras" 

नारायण धाम में नीरा की लगन !

माया मोह त्याग मुक्ति धाम में पिछले कई दिनों से सेवा कर रही है नीरा राडिया ..|

#**बदरी नारायण को अमीर 

भक्तों की कमी नहीं ..!


#**एक नजर कुछ आमिर भक्तों 

के योगदान पर ..!

***अनिल अम्बानी भी पारिवारिक विबाद के बाद से हर साल यहाँ पहुचते हैं ..| 


***अम्बानी का भगवान् में बिश्वाश ईतना बढ़ा कि उन्होंने बदरीनाथ और केदार नाथ में सबसे पहले मोबाईल फोन सेवा शुरू कर तीर्थ यात्रियों को 
सौगात दी | 


***बिड़ला ने मंदिर को सोने की छत से सौन्दर्य प्रदान किया , वहीँ मुख्य द्वार का भी निर्माण करवाया जिसे आज पूरी दुनिया में 
बदरीनाथ मंदिर के रूप में मान्यता मिली है | 


***अमिताभ भी हर साल यहाँ पहुंचते है .. गुप्त दान कर जाते हैं |


***मशहूर फिल्म स्टार रजनी कान्त दो साल पहले पूरे डेढ़ महीने धाम में रुके |


***और अब नीरा राडिया धाम में सेवा देकर बिगड़े कामो पर सफलता हाशिल करना चाहती है |


***राजनेता नेहरु , इंदिरा गाँधी , डा ० राजेंद्र प्रसाद , राजीव गांधी , वी० पी० सिंह , लालू यादव , सुषमा स्वराज , नरेंद्र        मोदी , अमर सिंह के अलावा भारत की राष्ट्रपति 2009 में अपने पित्रों का पिड्दान करने यहाँ पहुंची | लेकिन यह गौर करने वाली बात है की कोई भी राजनेता बदरीनाथ से 10 किलोमीटर पहले ही हैलिकफ्टर से उतर कर आम श्रद्धालुवों की भांति धाम पहुँचते हैं .. इसकी भी बहुत ही रोचक कहानी है, यह भक्ति के कारण नहीं बल्कि एक टोटके के चलते ऐसा करते हैं |

कहते हैं जब - जब किसी भी मनुष्य पर विपदा आयी तब - तब वह नारायण की शरण में आया है और तब उसने माया मोह त्याग कर सच्चे मान से नारायण धाम में सेवा भी की , इसका एक नहीं बल्कि अनेकों ऐसे उदहारण हैं मसलन अनिल अम्बानी और मुकेश अम्बानी का जब पारिवारिक विबाद हुवा तब से लगातार अनिल अम्बानी भगवान बद्री नाथ के कपाट खुलने पर यहा पहुंचते ही पहुचते है, और बीच बीच में माँ कोकिला बेन को भी कई बार नारायण धाम ला चुके हैं , अमिताभ बच्चन पर भी जब - जब विपदा आई तब तब वे यहाँ पहुंचे .. यहाँ तक कि अभिषेक बच्चन ने भी अपने पिता कि तरह ही जब फिल्म्स्तान से अपनी पहचान बनानी चाही तो अमिताभ अभिषेक को लेकर सीधे बदरीनाथ पहुंचे , कई बार गुप्त दान कर चुके है ,और हर साल अमिताभ इस धाम में पहुंचते हैं | हिंदुजा ब्रदर्स , फिल्म निर्माता भरत शाह सभी लोग भगवान बदरी के शरणों में समय - समय पर पधारते रहते हैं ... , ऐसे नजाने कितने लोग है जो भगवान बद्रीनाथ को अपना तारण हार मान चुके हैं | भगवान् का मुख्य द्वार जो पूरी दुनिया में भगवान बद्रीनाथ के मंदिर के रूप में पहचान पा चुका है वह बिड़ला परिवार ने बनाया है , जबकि भगवान बदरीनाथ का मंदिर आज तक किसी भी कैमरे से नहीं फिल्माया गया है क्योंकि मुख्य मंदिर बाहर से दिखता ही नहीं और कोई भी कैमरा मंदिर की फोटो नहीं ले सकता है, ऐसे में जो मुख्य द्वार है लोग उसे ही बदरीनाथ का मंदिर समझते है |मुख्य मंदिर के ऊपर भी बिड़ला ने ही पूरी सोने की छत बनाई | वर्ष 2005 में बम्बई के एक ब्यापारी ने सोने की दीवारे मंदिर के अन्दर खड़ी कर दी साथ ही सभी दरवाजों पर भी सोने की परत चढ़ा दी थी | कई ऐसे उद्योग पति भी इस धाम में पहुँचते है जो अपनी पहचान को छुपाते हैं और करोड़ों का गुप्त दान, मोह माया त्याग चुके तपस्यारत लक्ष्मी पति नारायण जी की झोली में डाल जाते हैं | 
और अब बहुचर्चित नीरा राडिया भी पिछले कई  दिनों से बदरी नाथ में ही डेरा जमाये हुवे है हर रोज नीरा भगवान की विशेष पूजावों में शामिल होती है , और दिन चर्या की शुरुआत धाम में पहुंचे श्रद्धालुवों की सेवा कर करती है , नीरा अपने साथ एम्बुलेंश , के अलावा एक बड़ी बस के अन्दर अत्याधुनिक सुविधावों से लेस चलता फिरता अस्पताल लेकर पहुंची है , नीरा के साथ उनके डाक्टरों व नर्सेस का भी एक दल बदरीधाम में सेवा में लीन है | नीरा के ब्यवहार से क्या आम और क्या खाश सभी प्रभावित है , बद्रीनाथ और केदार में स्वास्थ्य सेवावों का बड़ा टोटा है जिसकी वजह से हर साल यहाँ मैदानी क्षेत्रों से पहुंचे कई श्रद्धालु आक्सीजन की कमी होने पर दम तोड़ देते है, कई लोग हार्ट अटेक और लकवा के शिकार भी हो जाते है ऐसे में नीरा के इस प्रयाश को नारायण धाम में एक बरदान ही माना जा रहा है .. जिसकी शराहना होनी भी लाजमी ही है | महज कुछ ही दिनों में हजारों मरीजों को ईलाज दे चुकी है नीरा राडिया , आर्मी के डाक्टर भी अब नीरा के इस अभियान में हाथ बटा कर राष्ट्र सेवा के साथ - साथ समाज सेवा कराना चाहते हैं |

शशि भूषण मैठाणी "पारस"


9756838527 


9412029205

Thursday, 14 June 2012

मेडिकल परीक्षा में नम्बर -1 बनी रश्मि डंडरियाल 

रश्मि को मिलेगा इस साल का

"YOUTH ICON Success Award 2011 -12" 

शशि भूषण मैठाणी "पारस" Editor YOUTH ICON  
उत्तराखंड में कुमायूं मंडल में अल्मोड़ा जनपद के गाँव घट बगड़ , पो०आ०- कुलान्टेश्वर बिचला चौकोट , स्याल्दे (सल्ट) मूल की रहने वाली लाडली 17 वर्षीय रश्मि ने उत्तराखंड प्री मेडिकल टेस्ट 2012 में बाजी मारी है |  रश्मि ने 10  वींकी परीक्षा 94 % अंकों के साथ  दिल्ली के Oscar Public School Burari से पास किया , जबकि 12thकी परीक्षा 93.2 % अंकों के साथ Kendriya Vidyalaya Shalimar Bagh K U Block , New Delhi से किया |  रश्मि के पिता पीताम्बर डंडरियाल अपने गाँव से रोजगर की तलाश में 1996 दिल्ली चले गए थे , तब तक रश्मि की पढ़ाई गाँव के ही स्कूल हुई | पीताम्बर डंडरियाल को दिल्ली में एक प्राइवेट कंपनी में काफी मशक्त के बाद नौकरी मिल गयी थी | नौकरी मिलने के बाद रश्मि के पिता ने अब अपने बच्चों के भविष्य के बारे में सोच कर उन्हें भी अपने साथ दिल्ली ले जाने का फैसला किया , रश्मि 5 वीं तक गाँव के ही स्कूल में पढ़ी लिखी है | उसके बाद की पढ़ाई उसने दिल्ली में ही की | रश्मि का छोटा भाई कृष्णा भी अब दीदी के ही राह पर चलना चाहता है | रश्मी अपनी इस सफलता का श्रेय अपने पिताजी पीताम्बर डंडरियाल और माँ श्रीमती विजया कान्ता को देती है | 
**मेरी सफलता में मम्मी पापा ज्यादा योगदान |
**सफलता के लक्ष्य का होना आवश्यक |
**माँ - बाप के सपनो का भी हमें रखना चाहिए ख़याल | 
**अल्मोड़ा के गाँव घट बगड़ में जन्मी हैं रश्मि |
**एम. टेक . का छात्र   रमेश सिंह साही ने निशुल्क दी रश्मि को गाईड लाईन
रश्मि के पिता ने चंद सालो की महनत से ही दिल्ली के बुराड़ी में 50 गज की जमीन लेकर एक छोटा सा घर बनाया और उसी में एक तरफ छोटी सी दुकान की भी जगह निकाल दी , रश्मि के पिताजी नौकरी करते तो माँ घर के साथ साथ दुकान को संभालती है | फिर भी घर की आर्थिक हालात इतनी मजबूत नहीं थे की वह अपनी बेटी को कहीं से कोचिंग दिला सकते ,लेकिन माँ बाप ने होनहार बेटी रश्मि के लिए घर में ही अच्छी अच्छी  किताबें लेकर तैयारी करने के लिए दे दी थी | लेकिन यहाँ रश्मि ने हमें बताया कि मै अपनी इस सफलता में काफी योगदान  अपने ट्यूटर रमेश सिंह साही जी का मानूंगी जिन्होंने हमेशा मुझे गाईड किया , मुझे 12 वीं में कैमस्ट्री का ट्यूशन पढाया है उन्होंने और कभी भी मुझसे फीस नहीं ली, रश्मि ने बताया कि रमेश सिंह साही  खुद भी वर्तमान में आइ० पी० यूनिवर्सिटी से एम.टेक की पढाई कर रहे हैं | वही जब हमने रमेश सिंह साही से भी फोन पर बात की तो उन्होंने भी बताया की रश्मि बहुत ही महनती लड़की है उसका रुझान देखते हुवे ही मैंने उसे 11 वीं एवं 12 वीं की पढाई के साथ साथ बेस मजबूत करने के लिए कहा जो की उसने किया भी | रमेश ने बताया की आप रश्मि की महनत का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि 12 वीं करने के बाद उसे सिर्फ एक महीने का ही वक्त मिला तैयारी के लिए और उसने इतने कम समय में सिर्फ मुझसे टेलीफोन पर ही गाईड लाईन लेते हुवे अपनी तैयारी को अंजाम दिया |    
रश्मि पढ़ाई के साथ साथ घर व दुकान में अपनी माँ के साथ भी  काम में हाथ बटाती रही है | और जब - जब समय मिलता तो सिर्फ और सिर्फ अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पढाई करती थी | और आज उसकी महनत का नतीजा दुनियाँ के सामने है | 
रश्मि ने फोन पर की गयी अपने वार्तालाप में YOUTH ICON को बताया कि सफलता तभी हाशिल हो सकती है जब हमारा एक लक्ष्य हो, और उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जरुरी है कि  समर्पण भाव से महनत भी की जाय | यहाँ रश्मि अपनी अपरिपक्वता की उम्र में हमें एक बहुत ही परिपक्व सन्देश दे गयी यह कह कर कि अमूमन लड़के लडकियां इस माडर्न दौर में सिर्फ अपने बारे में सोचते हैं , और महनत कम करते हैं | जबकि हमें इस उम्र में यह भी सोचना चाहिए कि हमें बनाने में सिर्फ और सिर्फ हमारे मम्मी - पापा का ही योगदान होता है , उनके भी अपने बच्चों के लिए कुछ सपने होते हैं ,ऐसे में हमें अपने शौक के साथ - साथ माँ - बाप के बारे में भी सोचना चाहिए | उनके योगदान को ध्यान में रख कर महनत करनी चाहिए, तो सफलता स्वयं ही मिल जाएगी |  मैंने भी यही किया मै हमेशा देखती थी कि मेरे पापा के साथ - साथ  मम्मी भी दिन रात महनत कर पैंसा कमाते और हम पर लगा देते है | अब बारी मेरी है मै अपने मम्मी पापा को वो सब कुछ दूंगी जो उन्हें नहीं मिला , साथ ही कृष्णा (भाई) को भी पढ़ना है | बाकी पापा मम्मी का आशीर्वाद तो हमारे साथ है ही | रश्मि की इस सफलता को लेकर उसके ताऊ जी राकेश चंद्रा डंडरियाल भी बेहद खुश हैं उनका कहना है की रश्मि बेहद महनती एवं लगन शील है उसने पूरे परिवार और गाँव का नाम रोशन किया है |  
Shashi Bhushan Maithani "PARAS" Editor YOUTH ICON - 0 9412029205 , 09756838527 
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GENERAL INFORMATION OF UTTARAKHAND-PMT TOPPER OF THE YEAR-2012

Name : Rashmi Dandriyal
Father Name : Pitambar Dandriyal
10th from Oscar Public School Burari –Delhi
12th from Kendriya Vidyalaya Shalimar Bagh K U Block , New Delhi
Father : Pvt Service
Mother : House wife
 Background
Village : Ghatbagar , P O Kulanteshwar
Bichla Chowokot, Syalde(Salt) Almora Uttrakhand 
cont. No. 0 7428376564
                  0 9871591553

उत्तराखंड में भी होगा अब एक राज ठाकरे -

शशि भूषण मैठाणी "पारस" प्रदेश प्रवक्ता उत्तराखंड जनमंच |


आज मै बहुत ज्यादा नहीं लिखूंगा ... बस यही कहूँगा इस राज्य में जिस तरह से बाहरी लोगो का हस्तक्षेप बढ़ रहा है उससे तो यही लगता है की वह दिन अब दूर नहीं है कि जब उत्तराखंड में भी एक राज ठाकरे जन्म ले लेगा , आप बाहर के हो या अन्दर के जरा ईमानदारी के साथ सोचिये कि क्या जिस तरह से इस राज्य में बिद्युत परियोजनावो को दो दो हजार करोड़ रुपया खर्च करने के बाद चंद ढन्ट किस्म के संतो के दबाव में आकर बंद करने के एक के बाद एक फैसले लिए जा रहे हैं , वह कहाँ तक सही है | सारे पहाड़ के हजारों युवावों के रोजगार छिन गए हैं , सरे आम हमारे अधिकार हमसे छीने जा रहे हैं अब बहुत हो गया .. बहुत जल्दी भीषण परिणाम सामने आ सकते है | खाशतौर पर पहाड़ी जनमानस भारी गुस्से में है ..


जय उत्तराखंड. "बोल पहाड़ी हल्ला बोल .. हल्ला बोल" ... 


शशि भूषण मैठाणी "पारस" प्रदेश प्रवक्ता उत्तराखंड जनमंच

Wednesday, 13 June 2012



  • Prayag Pande

    By- Prayag Pande 




    Prayag Pande 
    श्री शशि भाई जी ! आपने श्री नंदा देवी लोक जात यात्रा पर बहुत अच्छी और ज्ञान बर्धक जानकारी दी है | इसके लिए आपका धन्यवाद |

    दरअसल भाई जी ! नंदा देवी जी और उत्तराखंड वासियों मे अनंत काल से एक भावनात्मक आत्मीयता है | श्री नंदा देवी सम्पूर्ण उत्तराखंड मे प्रतिष्ठित और पूज्य हैं | हिमालय पर्वत अनंतकाल से शिव और पार्वती जी के निवास स्थान माने गए हैं | पुराणों मे एक हिमालय राजा का उल्लेख है | पार्वती जी को हिमालय राज की पुत्री बताया गया है | गिरिजा ,गिरिराजकिशोरी ,शैलेश्वरी और नंदा आदि पार्वती के ही अन्य नाम बताये गए हैं | हिमालय के अनेक शिखरों के नाम नंदा से ही हैं | जिनमें नंदा देवी ,नंदा भनार , नंदा खानी . नंदा कोट और नंदा घुघटी आदि प्रमुख हैं | प्राचीन पौराणिक ग्रन्थों मे नंदा पर्वत को हिमाद्री ,मेरु ,सुमेरु आदि नामों से सम्बोधित किया गया है | मानसखंड और केदारखंड जैसे ग्रन्थों मे इसे नंदादेवी के नाम से पुकारा गया है |

    मानसखंड मे नंदा पर्वत को नंदा देवी का निवास स्थान बताया गया है | हिमालय की सबसे ऊंची चोटी नंदादेवी को नंदा , गौरी और पार्वती जी का रूप माना जाता है | नंदा को शक्ति रूप माना गया है | शक्ति की पूजा नंदा , उमा , अम्बिका ,काली , चंडिका ,चंडी ,दुर्गा ,गौरी ,पार्वती ,ज्वाला ,हेमवती ,जयंती ,मंगला ,काली और भद्रकाली के नाम से भी होती है |

    उत्तराखंड के राजवंशों मे नंदा की पूजा कुलदेवी के रूप मे होती आई है | कुमाऊँ का राजवंश नंदादेवी को तीनों लोकों का आनन्द प्रदान करने वाली शक्तिरूपा देवी के रूप मे पूजता था | जबकि गढ़वाल के राजाओं ने नंदा देवी को राजराजेश्वरी के नाम से प्रतिष्ठित किया | यही कारण है कि उत्तराखंड मे अनेक स्थानों पर नंदा देवी के मंदिर हैं | हर साल नंदा देवी के मेलो से लेकर नंदादेवी लोक जात यात्रा और नंदा जात यात्रा के रूप मे श्री नंदा देवी को पूजने की एक समृद्ध परम्परा उत्तराखंड मे कई सदियों से अनवरत चली आ रही है |

    नंदा देवी उत्तराखंड की साझा संस्कृति , समसामयिक चेतना और एकता का प्रतीक हैं | नंदादेवी के निमित्त उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों मे समय -समय पर होने वाले अनेक उत्सवों मे पहाड़ की समृद्ध लोक संस्कृति की गहरी जड़ें , धार्मिक विश्वास एवं परम्पराएँ जुडी है | लोक जीवन के आधार स्तंभों पर पाश्चात्य संस्कृति के बढ़ते प्रभावों के वावजूद पहाड़ के धार्मिक लोक पर्वों के प्रति यहाँ के आम लोगों के उत्साह और श्रद्धा मे कोई कमी नहीं आई है | आज भी हमारे उत्तराखंड वासियों को नंदादेवी समेत सभी चौतीस करोड़ देवी - देवताओं के प्रति अपार श्रद्धा और विश्वास है | तभी तो इतना सब होने के वावजूद इसे अभी भी देवभूमि कहा जाता है | अपनी तरफ से हमारे नेताओं ने तो इस देवभूमि को कुरुक्षेत्र बनाने मे कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है | लेकिन मित्र ! याद रखियेगा सत्ता की हवस मे इस पवित्र देव भूमि को कलंकित करने वाले कुर्सी प्रेमी नेताओं को प्रकृति कभी माफ़ नहीं करेगी | सो , प्रकृति के न्याय की प्रतीक्षा कीजिये |

By. SHASHI BHUSHAN MAITHANI  "PARAS "
Editor - YOUTH ICON 
shashibhushan.maithani@gmail.com
9756838527
9412029205
14-06-2012
Photo- By Vriharsh Raj Tadiyal.

नंदा देवी लोक जात यात्रा -

धार्मिक ,सांस्कृतिक ,एवं सामाजिक यात्रा !

यह दृश्य चमोली जनपद में सप्त कुण्ड का है |दरअसल यहाँ हर 6 वर्ष  "नंदा देवी लोकजात" का आयोजन होता है  | अगर देखा जाय तो  यह यात्रा नंदा देवी राजजात से भी भब्य एवं रमणीक है ,इस यात्रा में भी प्रत्येक गाँव  से नंदा देवी की पवित्र रिंगाल की "छतोली" के साथ ग्रामीण अलग - अलग क्षेत्रों से आकर शामिल होते  हैं | और यह भब्य यात्रा चमोली जनपद के घाट (विकासनगर ) ब्लाक में माँ नंदा देवी के सिद्ध पीठ कुरुड़ से यह यात्रा आरम्भ होती है ,  कुरुड़ से माँ नन्दा देबी की डोली के नेतृत्व में हजारों श्रद्धालु गाँव - गाँव भ्रमण के पश्चात रावण की तपस्थली "बैराश कुण्ड",दाणी माता ,भुवनेश्वरी मंदिर ,  पगना , लुन्तरा ,घूनी ,एवं अंतिम गाँव रामणी होते हुवे बालपाटा बुग्याल , दंन्यनाली बुग्याल ,एवं  सिम्बाई बुग्याल के बिभिन्न पडावों को पार कर सप्त कुण्ड पहुंचती है | 

यहाँ सात विशाल जल कुण्ड हैं जो लगभग 5 किलोमीटर क्षेत्र में फैले हैं ,जिसकी वजह से ही इस क्षेत्र को "सप्त कुण्ड" कहा गया है | बेहद खूबसूरत एक के बाद एक सीढ़ीनुमा सात कुण्ड (सप्त कुण्ड ) के दर्शन इस लम्बी दूरि की यात्रा का सबसे सुखद क्षण होता है |धार्मिक मान्यतानुसार कहा जाता है कि यह सात कुण्ड "सप्त ऋषि" के रूप में यहाँ विद्यमान हैं , और यही पर श्रृष्टि की रचना भी हुई थी | सैकड़ों रंबिरंगी छतोलियाँ एक साथ लेकर श्रद्धालु इन पवित्र कुंडों की परिक्रमा करते हैं |तत्पश्चात श्रेष्ठ कुण्ड के एक छोर पर सभी रिंगाल की पवित्र छातोलियों को रख दिया जाता है , फिर गौड़ ब्राहमणों के द्वारा "छतोली" पर से चुनरी , चूड़ी , बिदिया , एवं अन्य खाद्य सामग्री को उतारा जाता है और सब भेंट (सम्लौण) माँ नन्दा को समर्पित कर दी जाती है , कुछ लोग हिमालय में स्थित इन पवित्र कुंदो के तट पर अपने पितरों को तर्पण भी देते हैं कहते हैं यहाँ पिंड दान करने से जन्म जन्मान्तर तक तर जाते हैं |   

यह यात्रा विधिवत रूप से सैकड़ों ग्रामो का पैदल भ्रमण करने सहित कुल 16 दिन में पूरी की जाती है, जिसकी लम्बाई लगभग 220 किलोमीटर (आना - जाना ) बताई जाती है | इस यात्रा मे घाट (विकासनगर ) ब्लाक , दशोली ब्लाक ,बिरही निजमूला घाटी के लगभग सभी गाँव शामिल होते हैं | 
पहाड़ में नंदा देवी उत्सव दरअसल हिमालयी जनमानस का पारिवारिक एवं पारम्परिक सौहार्द का उत्सव है | हिमालय की यह धार्मिक ,सांस्कृतिक ,एवं सामाजिक यात्रा श्रद्धा , आस्था एवं विश्वाश की त्रिवेणी भी है | 

मेरे लिए यह यात्रा जीवन भर के लिए स्मरणीय -  

चमोली जनपद के घाट (विकासनगर ) ब्लाक में माँ नंदा देवी के सिद्ध पीठ कुरुड़ से यह यात्रा आरम्भ होती है , वर्ष 2006 में मैंने भी इस पूरी यात्रा का वीडियो फिल्मांकन किया हुवा है , आज तक चैनल पर EXCLUSIVE  आधे - आधे घंटे के स्पेशल एपिसोड भी  चलाये गए थे | यह यात्रा इस लिए भी सुखद एवं भब्य है क्योंकि इसमें राजनीती अभी तक नहीं घुली है , कोई सरकारी बजट जारी नहीं होता है , समझ लो की जिस दिन इस यत्रा में भी सरकारी हस्तक्षेप हो जायेगा , इसका हाल भी नंदा देवी राज जात जैंसा ही हो जायेगा | आप देखते जाइएगा आने वाले समय में लोग कुम्भ घोटाले की जांच की तरह ही राज जात घोटाले की जांच के लिए भी सदन से लेकर सडकों पर तक झंडा डंडा उठाये हुवे नजर आयेंगे | पहाड़ में नंदा देवी उत्सव दरअसल लोगो का पारिवारिक एवं पारम्परिक सौहार्द का उत्सव है जो कि अब सरकारी कार्यक्रम बन गया , आने वाले समय में खतरा इस बात का भी है कि, कही हमारी यह धार्मिक ,सांस्कृतिक ,एवं सामाजिक यात्रा सरकारी चकाचौंध और भारी धन वर्षा के बीच अपना वजूद ही ना खो दे | 

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Monday, 11 June 2012

**नंदप्रयाग एवं चमोली के मध्य बदरीनाथ मार्ग पर स्थित है मैठाणा ।


**जहां विराजते हैं साक्षात् नारायण और नारायणी ,


**जो निरंतर का रहे हैं यहाँ भोले नाथ की पूजा । 


मैठाणा लक्ष्मी नारायण मंदिर परिसर में है यह भगवान शंकर जी का अदभुद चमत्कारी शिवलिंग ,इस दिब्य लिंग में भक्तों को दिन में तीन अलग अलग रंगों में भगवान के दर्शन होते हैं | सुबह लाल , दोपहर में एक हिस्सा लाल तो दूसरा नीला जबकि साध्य काल में एक दम नीले रंग में नीलाम्बर रूप में दर्शन होते हैं | एक मान्यता नुसार कहा जाता है की इस जगह पर भगवान नारायण शिव की पूजा करते हैं जबकि लक्ष्मी जी श्री नारायण जी को पूजा में सहयोग कर रही हैं यहाँ पर , मैठाणा मंदिर क्षेत्र में कहते हैं कि लक्ष्मी नारायण जी सांसारिक मोह माया से अलग होकर देवाधिदेव भोलेनाथ जी कि पूजा करते हैं | तभी तो मैठाणा में लक्ष्मी जी नारायण जी के बामांग अर्थात बायें भाग के बजाय दायें भाग में विराजी हैं , यहाँ पर आज भी आप देखेंगे कि भगवान नारायण जी का मंदिर दायें एवं लक्ष्मी जी का मंदिर बायें भाग में है और दोनों के मध्य विराजते हैं देवाधिदेव भोलेनाथ जी ...| चलो रे भक्तो मैठाना नारायण धाम |


शशि भूषण मैठाणी "पारस"


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खुला निमंत्रण - 


20 एवं 21 जून  को  "मैठाणा श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर" में भगवान सत्यनारायण जी की कथा का आयोजन किया जा रहा है , इस अवसर पर आप सभी भक्त जन भी पधार कर कथा श्रवण एवं परसाद  ग्रहण कीजियेगा ....धन्यबाद , सहित शशि भूषण मैठाणी "पारस"   -आयोज